कुछ पंक्तियाँ जो निकली है सीधे दिल से …
अंतिम पंक्तियाँ राहुल सर के सौजन्य से . 🙂
तेरे चेहरे पर गम देख सकता नहीं ,
पर इसके लिए खुद को मिटा सकता नहीं ,तू किसी को कितना भी चाह ले ,मुझसे ज्यादा तुझे कोई चाह सकता नहीं !जान ले मेरे हर आंसू की वजह तू है ,पर तेरी आँखों में आंसू देख लू ऐसा हो सकता नहीं …ये प्यार भी बड़ा अजीब है …जिसे मैं चाहूं वही मुझको मिल ना सके ,हे भगवान् ऐसा तू कर सकता नहीं !
जब भी तू होगी तनहा …
मुझे हमेशा पास पायेगी ,
तेरे बिखरे हुए जज्बातों में ,
मेरी तस्वीर नज़र आएगी ,
दुनिया जो कहती है कहने दे ,
हम बदल जाएँ ऐसी नौबत कभी न आएगी ,
एक बार हिम्मत तो कर ,
हर तरफ हवा में खुशबू नज़र आएगी !
हर एक की आंखो में होता है एक सपना ,
मैं भी कोई अलग ना था , जो मैंने देखा एक सपना ,अंतर बस इतना सा है ,औरोँ का सपना होता है अपना ,पर मेरा सपना तो दूसरो का भी है उतना ही अपना ,जब पूरा ना हो अपना सपना ,तो लोग ले लेते औरोँ का सपना ,पर मैं ना छोडूंगा तुमको ,क्योकि तुम ही तो हो मेरा एकलौता सपना !
कहते हैं की मीठा दर्द दे जाता है पहला प्यार ,
सुध बुध ना रहे ऐसा चड़ता है खुमार ,जब ना मिले किसी को पहला प्यार ,तो वो बंदा हो जाये देवदास की लिस्ट में शुमार ,हमने भी किया है ऐसा ही कुछ पहला प्यार !
यादें याद आती है …
ना चाहो फिर भी याद आती है .
यादें कडवी हो या मीठी ,
फिर भी याद आती हैं …
आँखें नाम कर दे ,
ऐसी यादें याद आती हैं .
भुलाने का अथक प्रयत्न कर लूँ ,
फिर भी यादें याद आती हैं !
आज भी याद आती है क्यों वो ,
भुलाने पर भी भूल पाती नहीं वो ,
हँसता तो हूँ मै इस दुनिया को दिखाने के लिए,
पर हर हंसी के पीछे का दर्द जानती नहीं वो !
दिल से चाहा , जाँ से ज्यादा प्यार किया …
आंसुओं से भरी आँखें , ये हमने बदले में पाया .माना की हम तेरे काबिल नहीं ,पर तेरे प्यार में हर पल खुद को ऊपर उठता पाया …
पर जैसे शायद इतना ही काफी ना था ,
दिल तोड़कर मैंने तुझको किसी गैर से दिल लगाते पाया …
दिल मेरा रोया जार जार , पर तू इन सब से बेफिक्र थी …
क्योंकि मैंने तुझे किसी और के लबों पे मुस्कराहट लाते पाया …
उदासी यूँ तेरे चेहरे पर जंचती नहीं …गर हंसी का दामन तू यूँ छोडती नहीं ..कुछ तो ख़ास है तुझमे ऐसा …कि दुनिया तुझे उदास देख सकती नहीं .
तुम्हारी याद से हर पल सजा हुआ campus ,
मै क्या करूँ कि भुला ही नहीं सका campus,
ना जाने कौन उसका आखिरी यहाँ रह गया होगा ,
कि उसकी आखिरी साँसों में दुआ थी campus ,
कल रात JNU की सडको पे जो तुझे याद किया ,
तुझे खबर है मेरे साथ खुद रो पड़ा campus,
उदास नहर में तुम पाँव डाले रहती थी ,
तेरे बाद खुद उदासी में ढल गया campus ,
हर 1 department से उसके कहकहे गूंजे
उसके बाद दोस्त जब भी मै गया campus …
narendra it is very easy to write it in poem but it very difficult to follow in real life .can u carry it or u dont undersand…………………………..if u realy not understanding then read ur poem again………………
Dont mind it but it is true