रात के २ बजने वाले है , अभी मै अपने junior के birth day से लौट कर आ रहा हूँ , सभी खुश थे … आज उसका 23rd birth day था , पर रह रह कर मन में १ ही बात कचोट रही थी कि आखिर ये सब कब तक चलेगा … जाहिर है कि मेरे दिमाग में 26/11 कि यादें ही रह रह कर सामने आ रही थी ! सच कहू तो मुझे शर्म आ रही थी कि मै ऐसे देश में पैदा ही क्यूँ हुआ … काश ये मेरे हाथ में होता कि मुझे कहाँ पैदा होना है …
खैर छोडिये … 26/11 का दिन तो आप सभी को याद ही होगा कि कैसे कुछ terrorists ने इस पुरे देश को घुटनो के बल लाके खड़ा कर दिया , १ ऐसा देश जो हमेशा अपनी संस्कृति और महान सभ्यता का दंभ भरता है … हमला हुआ लोग मारे गए , कई विवाद भी खड़े हुए , १ आतंकवादी पकड़ा भी गया … पर फिर क्या , वही धाक के तीन पात , हम आज भी वही खड़े है जहा १ साल पहले खड़े थे ! आज भी निर्णय ले पाने कि इच्छाशक्ति हमारे नेताओं में नहीं है … १ तरफ इजरायल जैसा छोटा सा देश है ,जिसने १९७२ में munikh में olympic games के दौरान हुए आतंकवादी हमले के दोषियो को चुन चुन कर मारा था और १ तरफ १ अरब से भी ऊपर कि आबादी वाला हमारा देश जिसे कुछ बोलने से पहले भी अमेरिका के पैर चाटने पड़ते है … १ साल के बीतने के बाद आज अजमल कसाब ‘sahab’ इस देश के सबसे सुरक्षित बन्दे है … इनके इन्तेजामात के ऊपर साल भर का खर्चा – ३६ करोड़ … आश्चर्य में मत पड़िये , ये सच है … फिर चाहे १३/१२ हो या मुंबई में लोकल trains के bomb explosions , हम बस टीवी पर breaking न्यूज़ देखेंगे कुछ देर शोक मनाएंगे , ज्यादा हुआ तो कुछ देर खून उबलेगा … ३-४ बातें बोलकर फिर शांत पड़ जायेंगे कि चलो बॉस अपना कोई नहीं गया इसमें … हां जी यही attitude है हम लोगों का , मै भी शामिल हूँ इन सब में !
जानता हूँ बातें करने से कुछ होने वाला नहीं , पर करू भी तो क्या करू और ये सिर्फ मेरा ही सवाल नहीं है … जिन पर इस देश को चलने का जिम्मा है वही हजारो करोडो का गबन करे बैठे है … मौका मिले तो देश को ही बेच दे ये ********** , कोई भी धर्म बेगुनाहो की जान लेना तो सिखाता नहीं फिर भी कोई कैसे इस पूरी हिंसा को justify कर सकता है… अब जरुरत यही है कि इस देश को कुछ कठोर निर्णय लेने ही होँगे … मै ज्यादा अन्दर जाना नहीं चाहता … पर १ बात जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है इस देश में १ समान नागरिक संहिता लागू करना , किसी भी राज्य को विशेष अधिकार ना दिया जाना (यहाँ मै J&K कि बात कर रहा हूँ )… शुरुआत तो यहाँ से होनी ही चाहिए और फिर आगे इसको एक्सटेंड किया जाये ,नेता बनने के लिए specific qualifications तय कर के(ये इस देश कि विडंबना ही है कि यहाँ १ भट्टे पर मजदूरी करने वाला इंसान भी राज्य का मुख्यमंत्री बन जाता है … सिर्फ कुछ सांसदो के दम पर यहाँ कोई प्रधानमन्त्री भी बन जाता है ).. युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाये (बुजुर्गो का भी रहना जरूरी है दिशानिर्देशन के liye)… govt. sector में वेतनमान बढाया जाये ताकि brain drain रोका जा सके , साथ ही corruption भी … शिक्षा की केन्द्रीयकृत प्रणाली लागू की जाये … जाति और धर्म के नाम पर आरक्षण की व्यस्था ख़त्म की जाये (ये वो चीज है जिसने सबसे ज्यादा इस देश को अन्दर से खोखला किया है , लोगो के अन्दर वैमनस्य की भावना को बढाया है ) … मुझे पता है ये सब हो पाना १ दिवास्वप्न की तरह ही है , पर सपने नहीं देखेंगे तो पूरे कैसे होँगे दोस्तो …है ना ?